शिलाजीत ( Shilajit )
★ शिलाजीत(shilajit) एक काले-भूरे रंग का हिमालय तथा कुछ अन्य बड़े पहाड़ों की चट्टानों से निकलने वाला निर्यास exudate है।
★ इंग्लिश में इसे एस्फाल्ट Asphalt कहा जाता है।
★ यह अफगानिस्तान, भूटान, चीन, नेपाल, पाकिस्तान, सोवियत संघ, तिब्बत के पहाड़ों पर भी 1000 और 5000 मीटर के उंचाई पर पाया जाता है।
★ आयुर्वेद में, शिलाजीत को एक \’रसायन\’ माना गया है। यह मेद्य (मेधा=बुद्धि) के लिए भी रसायन है ।
★ यह बढ़ती उम्र के प्रभाव को कम करने वाला, प्रमेह, डाइबिटिज़ समेत बीस तरह के प्रमेह, पथरी, पाइल्स, अस्थमा, पीलिया, पार्किन्सन Parkinson’s, सुजाक gonorrhea, सूजन, पागलपन insanity, मिर्गी, कृमि रोग, धातु रोग, सेक्स पॉवर की कमी, नसों की कमजोरी, नपंसुकता, स्वप्नदोष, इनफर्टिलिटी आदि सभी के उपचार में उपयोगी है।
★ शिलाजीत को हजारों साल से लगभग हर बीमारी के उपचार में प्रयोग किया जाता रहा है।
★ आयुर्वेद में यह कहा गया है की कोई भी ऐसा साध्य रोग नहीं है जो की शिलाजतु के प्रयोग से नियंत्रित या ठीक नहीं किया जा सकता।
★ शिलाजीत, का अर्थ है जिसने शिला को जीत लिया हो conqueror of rocks, इसका एक और अर्थ है पत्थरों का स्वेद rock-sweat या पसीना।
★ शिलाजीत, पत्थरों का मद है। जेठ, आषाढ़ के महीने में जब हिमालय की खड़ी चट्टानें सूरज के ताप से गर्म हो जाती हैं तब शिलाओं से एक पदार्थ निकलता है जो देखने में टार जैसा होता है, यही शिलाजीत है।
★ सुश्रुत संहिता और चरक संहिता में शिलाजीत का वर्णन मिलता है। सुश्रुत संहिता में छह तरह के जबकि चरक संहिता में चार प्रकार के शिलाजीत का वर्णन है।
★ आचार्य चरक ने चार तरह के जो शिलाजीत बताएं हैं, वे हैं – सुवर्ण, रजत, ताम्र और लौह।
★ सुवर्ण शिलाजीत गुडहल के फूल के रंग का, रजत सफ़ेद रंग का, ताम्र मोर की गर्दन के रंग का और लोह शिलाजीत जो की आज भी प्रयोग किया जाता है काले रंग का होता है।
★ शिलाजतु को दो प्रकार का माना जाता है गो-मूत्र के समान का गंध वाला, और कपूर की गंध वाला।
★ गो-मूत्र की गंध वाला शिलाजीत अधिक गुणकारी माना जाता है।
★ शिलाजीत में मिनरल बहुत अधिक मात्रा में पाए जाते है। यह अत्यंत ही गुणकारी मिनरल सप्लीमेंट mineral supplement है जो की किडनी kidney, मूत्र प्रणाली urinary system और जननांगों के लिए reproductive organ अत्यंत लाभप्रद है।
★ इंग्लिश में इसे एस्फाल्ट Asphalt कहा जाता है।
★ यह अफगानिस्तान, भूटान, चीन, नेपाल, पाकिस्तान, सोवियत संघ, तिब्बत के पहाड़ों पर भी 1000 और 5000 मीटर के उंचाई पर पाया जाता है।
★ आयुर्वेद में, शिलाजीत को एक \’रसायन\’ माना गया है। यह मेद्य (मेधा=बुद्धि) के लिए भी रसायन है ।
★ यह बढ़ती उम्र के प्रभाव को कम करने वाला, प्रमेह, डाइबिटिज़ समेत बीस तरह के प्रमेह, पथरी, पाइल्स, अस्थमा, पीलिया, पार्किन्सन Parkinson’s, सुजाक gonorrhea, सूजन, पागलपन insanity, मिर्गी, कृमि रोग, धातु रोग, सेक्स पॉवर की कमी, नसों की कमजोरी, नपंसुकता, स्वप्नदोष, इनफर्टिलिटी आदि सभी के उपचार में उपयोगी है।

★ शिलाजीत को हजारों साल से लगभग हर बीमारी के उपचार में प्रयोग किया जाता रहा है।
★ आयुर्वेद में यह कहा गया है की कोई भी ऐसा साध्य रोग नहीं है जो की शिलाजतु के प्रयोग से नियंत्रित या ठीक नहीं किया जा सकता।
★ शिलाजीत, का अर्थ है जिसने शिला को जीत लिया हो conqueror of rocks, इसका एक और अर्थ है पत्थरों का स्वेद rock-sweat या पसीना।
★ शिलाजीत, पत्थरों का मद है। जेठ, आषाढ़ के महीने में जब हिमालय की खड़ी चट्टानें सूरज के ताप से गर्म हो जाती हैं तब शिलाओं से एक पदार्थ निकलता है जो देखने में टार जैसा होता है, यही शिलाजीत है।
★ सुश्रुत संहिता और चरक संहिता में शिलाजीत का वर्णन मिलता है। सुश्रुत संहिता में छह तरह के जबकि चरक संहिता में चार प्रकार के शिलाजीत का वर्णन है।
★ आचार्य चरक ने चार तरह के जो शिलाजीत बताएं हैं, वे हैं – सुवर्ण, रजत, ताम्र और लौह।
★ सुवर्ण शिलाजीत गुडहल के फूल के रंग का, रजत सफ़ेद रंग का, ताम्र मोर की गर्दन के रंग का और लोह शिलाजीत जो की आज भी प्रयोग किया जाता है काले रंग का होता है।
★ शिलाजतु को दो प्रकार का माना जाता है गो-मूत्र के समान का गंध वाला, और कपूर की गंध वाला।
★ गो-मूत्र की गंध वाला शिलाजीत अधिक गुणकारी माना जाता है।
★ शिलाजीत में मिनरल बहुत अधिक मात्रा में पाए जाते है। यह अत्यंत ही गुणकारी मिनरल सप्लीमेंट mineral supplement है जो की किडनी kidney, मूत्र प्रणाली urinary system और जननांगों के लिए reproductive organ अत्यंत लाभप्रद है।

शिलाजीत होता क्या है: गर्मी के महीनों में वातावरण के गर्म होने पर पत्थरों की चट्टानों से निकलने वाला मद शिलाजीत है।
शिलाजीत कहाँ प्राप्त होता है: भारत में यह गंगोत्री के आस-पास शिलाओं से टपकता है। यह नेपाल में भी मिलता है। यह अल्ताई, हिमालय, और मध्य एशिया के काकेशस पहाड़ों से प्राप्त किया जाता है।
शिलाजीत के गुण : Properties of Shilajit
★ शिलाजीत को आयुर्वेद में, कडवा, चरपरा, कसैला, माना गया है।
★ यह कटु विपाक है। इसमें प्रधान रस, तिक्त है।
★ यह मूत्र लाने वाला, रसायन और योगवाही है।
★ तासीर में यह गर्म और पचने में भारी है।
★ औषधि की तरह सेवन से शरीर में त्रिदोष संतुलित करता है।
★ यह बलकारक है। यह वात और कफ को कम करने वाला है।
★ इसके अधिक सेवन से शरीर में पित्त की वृद्धि होती है।
★ यह मधुमेह की अत्यंत ही गुणकारी औषध है।
★ यह वाज़िकारक है और पुरुषों के लिए उत्तम रसायन है।
★ यह कफ, पथरी, क्षय, मूत्रकृच्छ, बवासीर, पांडु रोग, उन्माद, सूजन, कुष्ठ, कृमिरोग, पेट रोग, यौन समस्याएं, मिर्गी, आदि को दूर करने वाला है।
★ यह नसों को ताकत देता है।
★ शिलाजीत धातुओं का क्षार है और इसमें बहुत से मिनरल पाए जाते हैं।
शिलाजीत में पाए जाने वाले महत्वपूर्ण यौगिकों में शामिल हैं:
★ यह कटु विपाक है। इसमें प्रधान रस, तिक्त है।
★ यह मूत्र लाने वाला, रसायन और योगवाही है।
★ तासीर में यह गर्म और पचने में भारी है।
★ औषधि की तरह सेवन से शरीर में त्रिदोष संतुलित करता है।
★ यह बलकारक है। यह वात और कफ को कम करने वाला है।
★ इसके अधिक सेवन से शरीर में पित्त की वृद्धि होती है।
★ यह मधुमेह की अत्यंत ही गुणकारी औषध है।
★ यह वाज़िकारक है और पुरुषों के लिए उत्तम रसायन है।
★ यह कफ, पथरी, क्षय, मूत्रकृच्छ, बवासीर, पांडु रोग, उन्माद, सूजन, कुष्ठ, कृमिरोग, पेट रोग, यौन समस्याएं, मिर्गी, आदि को दूर करने वाला है।
★ यह नसों को ताकत देता है।
★ शिलाजीत धातुओं का क्षार है और इसमें बहुत से मिनरल पाए जाते हैं।
शिलाजीत में पाए जाने वाले महत्वपूर्ण यौगिकों में शामिल हैं:
<> डिबेंज़ोअल्फा पयरोनेस, फोस्फोलिपिड्स, ट्रीटरपेन्स और फेनोलिक एसिड्स
<> फुलविक एसिड्स carrier molecules
<> हुमिंस और ह्यूमिक एसिड्स
<> ट्रेस एलिमेंट: सिलिका Si, आयरन Fe, कॉपर Cu, कैल्शियम Ca, लिथियम Li, मग्निशियम Mg, मैंगनीज़ Mn, मोलीबिडनम Mo, फॉस्फोरस P, सोडियम Na, और जिंक Zn.
<> फुलविक एसिड्स carrier molecules
<> हुमिंस और ह्यूमिक एसिड्स
<> ट्रेस एलिमेंट: सिलिका Si, आयरन Fe, कॉपर Cu, कैल्शियम Ca, लिथियम Li, मग्निशियम Mg, मैंगनीज़ Mn, मोलीबिडनम Mo, फॉस्फोरस P, सोडियम Na, और जिंक Zn.
शिलाजीत के लाभ : Shilajit Benefits in Hindi
★ इसमें शरीर में गैस्ट्रिक एसिड के सिक्रिशन को कम करने की क्षमता है जिससे यह शरीर में अल्सर बनने को रोकता है।
★ शिलाजीत का प्रयोग पेट के अलसर में उपयोगी है।
★ यह शर्करा के स्तर को कम करता है और मधुमेह/डाइबटिज़ में अन्य औषधीय द्रव्यों के साथ न केवल शर्करा को नियंत्रित करता है अपितु शरीर को ताकत देता है और नसों को मज़बूत करता है।
★ यह लीवर liver को उत्तेजित करता है। आयुर्वेद के अनुसार इसका सेवन अधिक पित्त स्राव को उत्तेजित करता है। इस कारण पित्ताशय के रोगों, पथरी में इसके सेवन से बहुत लाभ होता है।
★ यह कोलेस्ट्रोल को कम करता है।
★ इसके सेवन से ब्लड प्रेशर कम होता है। इसलिए उच्च रक्तचाप में इसका सेवन लाभप्रद है।
★ इसके सेवन से मूत्र की मात्रा बढ़ जाती diuretic है।
★ इसके सेवन से स्ट्रेस और एंग्जायटी कम होती है।
★ यह एक स्ट्रोंग एंटी-ऑक्सीडेंट है। यह एंटीएलर्जिक है।
★ यह दर्द-निवारक या अनेल्गेसिक analgesic है और दर्द में राहत देता है।
★ यह सूजन को कम करता है। इसलिए इसे रयूमेटीज्म, और अन्य सूजन वाली दिक्कतों में उपयोग करने से लाभ होता है।
★ यह पूरी सेहत के लिए टॉनिक health tonic है।
★ शिलाजीत का सेवन दिमाग के न्यूरोकेमिकल neurochemical, जैसे की सेरोटोनिन, डोपामिन, को भी प्रभावित करता है। ये केमिकल हमारे मूड, इमोशन, मेमोरी, नींद आदि के लिए आवश्यक हैं। शिलाजीत का सेवन मूड को बेहतर बनता है। यह मेमोरी को बढ़ाता है और स्ट्रेस को कम करता है।
★ यह वाजीकारक aphrodisiac है। वाजीकारक, को वो पदार्थ हैं जो सेक्सुअल पॉवर और सेक्सुअल फंक्शन sexual power and sexual function को बढ़ाते है। शिलाजीत का पुरुषों द्वारा सेवन प्रीमेच्यूर इजाकुलेशन premature ejaculation, स्वप्नदोष nocturnal emission, कम कामेच्छा low libido, सेक्सुअल कमजोरी sexual weakness, इनफर्टिलिटी infertility, स्पर्म की कमी low sperm count, नपुंसकता impotence, dhatu rog को दूर करता है। यह सभी प्रजनन अंगों reproductive organs को ताकत देता है।
★ महिलाओं में भी इसका सेवन कमजोरी, इनफर्टिलिटी, मासिक की दिक्कतों को दूर करता है।
★ इसके सेवन से मूत्र में शर्करा और फॉस्फेट की मात्रा कम हो जाती है।
★ यह लोह भस्म की ही तरह रक्त वर्धक hematinic और रक्त रंजक है।
★ यह स्वेदक sweat causing, शोथहर anti-inflammatory, और चमड़ी के रोगों skin diseases को दूर करनेवाला है।
★ यह बढे हुए मेद fat को कम करता है। यह मेटाबोलिज्म को बढ़ा देता है जिससे मोटापा obesity कम होता है।
★ शिलाजीत ज्वर, पांडुरोग, शोथ, प्रमेह, मन्दाग्नि, मोटापा, राजयक्ष्मा/टी.बी., वायु गोला, प्लीहा/तिल्ली के रोग, पेट-रोग, हृदयशूल, आमरोग, तथा सभी प्रकार के त्वचा रोगों में लाभप्रद है। यह किडनी कर रोगों को दूर करता है।
★ शिलाजीत का प्रयोग पेट के अलसर में उपयोगी है।
★ यह शर्करा के स्तर को कम करता है और मधुमेह/डाइबटिज़ में अन्य औषधीय द्रव्यों के साथ न केवल शर्करा को नियंत्रित करता है अपितु शरीर को ताकत देता है और नसों को मज़बूत करता है।
★ यह लीवर liver को उत्तेजित करता है। आयुर्वेद के अनुसार इसका सेवन अधिक पित्त स्राव को उत्तेजित करता है। इस कारण पित्ताशय के रोगों, पथरी में इसके सेवन से बहुत लाभ होता है।
★ यह कोलेस्ट्रोल को कम करता है।
★ इसके सेवन से ब्लड प्रेशर कम होता है। इसलिए उच्च रक्तचाप में इसका सेवन लाभप्रद है।
★ इसके सेवन से मूत्र की मात्रा बढ़ जाती diuretic है।
★ इसके सेवन से स्ट्रेस और एंग्जायटी कम होती है।
★ यह एक स्ट्रोंग एंटी-ऑक्सीडेंट है। यह एंटीएलर्जिक है।
★ यह दर्द-निवारक या अनेल्गेसिक analgesic है और दर्द में राहत देता है।
★ यह सूजन को कम करता है। इसलिए इसे रयूमेटीज्म, और अन्य सूजन वाली दिक्कतों में उपयोग करने से लाभ होता है।
★ यह पूरी सेहत के लिए टॉनिक health tonic है।
★ शिलाजीत का सेवन दिमाग के न्यूरोकेमिकल neurochemical, जैसे की सेरोटोनिन, डोपामिन, को भी प्रभावित करता है। ये केमिकल हमारे मूड, इमोशन, मेमोरी, नींद आदि के लिए आवश्यक हैं। शिलाजीत का सेवन मूड को बेहतर बनता है। यह मेमोरी को बढ़ाता है और स्ट्रेस को कम करता है।
★ यह वाजीकारक aphrodisiac है। वाजीकारक, को वो पदार्थ हैं जो सेक्सुअल पॉवर और सेक्सुअल फंक्शन sexual power and sexual function को बढ़ाते है। शिलाजीत का पुरुषों द्वारा सेवन प्रीमेच्यूर इजाकुलेशन premature ejaculation, स्वप्नदोष nocturnal emission, कम कामेच्छा low libido, सेक्सुअल कमजोरी sexual weakness, इनफर्टिलिटी infertility, स्पर्म की कमी low sperm count, नपुंसकता impotence, dhatu rog को दूर करता है। यह सभी प्रजनन अंगों reproductive organs को ताकत देता है।
★ महिलाओं में भी इसका सेवन कमजोरी, इनफर्टिलिटी, मासिक की दिक्कतों को दूर करता है।
★ इसके सेवन से मूत्र में शर्करा और फॉस्फेट की मात्रा कम हो जाती है।
★ यह लोह भस्म की ही तरह रक्त वर्धक hematinic और रक्त रंजक है।
★ यह स्वेदक sweat causing, शोथहर anti-inflammatory, और चमड़ी के रोगों skin diseases को दूर करनेवाला है।
★ यह बढे हुए मेद fat को कम करता है। यह मेटाबोलिज्म को बढ़ा देता है जिससे मोटापा obesity कम होता है।
★ शिलाजीत ज्वर, पांडुरोग, शोथ, प्रमेह, मन्दाग्नि, मोटापा, राजयक्ष्मा/टी.बी., वायु गोला, प्लीहा/तिल्ली के रोग, पेट-रोग, हृदयशूल, आमरोग, तथा सभी प्रकार के त्वचा रोगों में लाभप्रद है। यह किडनी कर रोगों को दूर करता है।
शिलाजीत के औषधीय प्रयोग : Medicinal Uses of Shilajit
शिलाजीत का सवेन सामान्य शारीरिक सुदृढ़ीकरण, बढ्ती उम्र के असर को रोकने, रक्त शर्करा को कम करने के लिए, कम कामेच्छा, यौन रोगों, चोट, काम शक्ति बढ़ाने के लिए, प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ाने के लिए, गठिया में, उच्च रक्तचाप और मोटापा कम करने के लिए हजारों साल से प्रयोग किया जाता रहा है। आजकल किये जाने वाले शोध भी यही दिखाते हैं।
१] मोटापे obesity में 500 mg शिलाजीत गर्म पानी के साथ दिया जाता है।
२] प्रमेह, मधुमेह में शिलाजीत को त्रिफला Triphala और शहद के साथ चाट कर लिया जाता है।
३] मूत्रघात, मूत्रकृच्छ में पिप्पली और इलाइची के साथ शिलाजीत का सेवन हितकर है।
४] प्रमेह, धातु का गिरना, में शिलाजीत शुद्ध ४ ग्राम + लोह भस्म २ ग्राम + स्वर्णमाक्षिक भस्म २ ग्राम, मिलकर खरल कर २५० mg की गोलियां बनाकर रख लें। १ गोली, सुबह-शाम, दिन में दो बार, मक्खन-मलाई के साथ लेना चाहिए।
५] प्रमेह में १ ग्राम शिलाजीत का सेवन दूध के साथ, खाली पेट लेने से लाभ होता है।
२] प्रमेह, मधुमेह में शिलाजीत को त्रिफला Triphala और शहद के साथ चाट कर लिया जाता है।
३] मूत्रघात, मूत्रकृच्छ में पिप्पली और इलाइची के साथ शिलाजीत का सेवन हितकर है।
४] प्रमेह, धातु का गिरना, में शिलाजीत शुद्ध ४ ग्राम + लोह भस्म २ ग्राम + स्वर्णमाक्षिक भस्म २ ग्राम, मिलकर खरल कर २५० mg की गोलियां बनाकर रख लें। १ गोली, सुबह-शाम, दिन में दो बार, मक्खन-मलाई के साथ लेना चाहिए।
५] प्रमेह में १ ग्राम शिलाजीत का सेवन दूध के साथ, खाली पेट लेने से लाभ होता है।
शिलाजीत की औषधीय मात्रा Dosage of Shilajit
आयुर्वेद में शिलाजीत का प्रयोग तीन प्रकार से बताया गया है। यह नीचे दिया गया है:-

=> पर प्रयोग Maximum dose: सात सप्ताह तक शिलाजीत का रोज़ प्रयोग करना \’पर-प्रयोग\’ कहलाता है। यह बलशाली लेकिन बहुत से रोगों से ग्रसित लोगों के लिए है।
=> मध्य प्रयोग medium dose: तीन सप्ताह तक शिलाजीत का सेवन \’मध्य-प्रयोग\’ कहलाता है। यह मध्यमल और मध्य दोष वाले लोगों को करना चाहिए।
=> अवर प्रयोग minimum dose: एक सप्ताह तक इसका नियमित सेवन \’अवर-प्रयोग\’ कहलाता है। अल्पबल और अल्प दोष वालों को यही प्रयोग करना चाहिए।
=> शिलाजीत की औषधीय मात्रा 250 mg – 1 gram है। सटीक खुराक व्यक्ति के स्वास्थ्य, उम्र, पाचन शक्ति, रोग समेत बहुत से अन्य कारकों पर निर्भर है।
=> शिलाजीत को दूध या शहद के साथ सुबह लेना चाहिए।
=> मध्य प्रयोग medium dose: तीन सप्ताह तक शिलाजीत का सेवन \’मध्य-प्रयोग\’ कहलाता है। यह मध्यमल और मध्य दोष वाले लोगों को करना चाहिए।
=> अवर प्रयोग minimum dose: एक सप्ताह तक इसका नियमित सेवन \’अवर-प्रयोग\’ कहलाता है। अल्पबल और अल्प दोष वालों को यही प्रयोग करना चाहिए।
=> शिलाजीत की औषधीय मात्रा 250 mg – 1 gram है। सटीक खुराक व्यक्ति के स्वास्थ्य, उम्र, पाचन शक्ति, रोग समेत बहुत से अन्य कारकों पर निर्भर है।
=> शिलाजीत को दूध या शहद के साथ सुबह लेना चाहिए।
सेवन में सावधानियाँ : Warning
★ शिलाजीत के सेवन के समय विदाही (जलन करने वाले भोजन) और भारी भोजन नहीं करना चाहिए।
★ कुल्थी का सेवन भी नहीं करना चाहिए। आयुर्वेद के कुछ व्याख्याकार ने तो यहाँ तक कहा है जो लोग शिलाजीत का सेवन कर रहे हो उन्हें एक वर्ष तक कुलथी का सेवन नहीं करना चाहिए।
★ शिलाजीत उन लोगों को नहीं लेना चाहिए जिनका यूरिक एसिड बढ़ा हुआ है। जिनमें यूरिक एसिड की पथरी हो, गठिया हो उन्हें भी इसका प्रयोग नहीं करना चाहिए।
★ अधिक पित्त में भी इसका सेवन सावधानी से किया जाना चाहिए।
★ कुल्थी का सेवन भी नहीं करना चाहिए। आयुर्वेद के कुछ व्याख्याकार ने तो यहाँ तक कहा है जो लोग शिलाजीत का सेवन कर रहे हो उन्हें एक वर्ष तक कुलथी का सेवन नहीं करना चाहिए।
★ शिलाजीत उन लोगों को नहीं लेना चाहिए जिनका यूरिक एसिड बढ़ा हुआ है। जिनमें यूरिक एसिड की पथरी हो, गठिया हो उन्हें भी इसका प्रयोग नहीं करना चाहिए।
★ अधिक पित्त में भी इसका सेवन सावधानी से किया जाना चाहिए।
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